hindisamay head


अ+ अ-

कविता

सब कुछ

अन्ना अख्मातोवा

अनुवाद - सरिता शर्मा


सब कुछ लूटा गया, धोखा और सौदेबाजी थी
काली मौत मँडरा रही है सिर पर
सब कुछ डकार गई है अतृप्त भूख
फिर क्यों चमकती है एक प्रकाश किरण आगे?

दिन के वक्त, शहर के पास रहस्यमय जंगल,
साँस से छोड़ता है चेरी, चेरी का इत्र
रात के समय जुलाई के गहरे और पारदर्शी आसमान पर,
नए तारामंडल को पटक दिया जाता है

और कुछ चमत्कारपूर्ण प्रकट होगा
अँधेरे और बर्बादी जैसा
कुछ ऐसा, कोई नहीं जानता जिसे
हालाँकि हमने इंतजार किया है उसका लड़कपन से


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अन्ना अख्मातोवा की रचनाएँ